दुनिया के हर किसी देश का सपना होता है कि वह अपने नागरिको को साफ़ पानी और पौष्टिक भोजन उपलब्ध करा पाए.खासकर विकासशील देश जिनमे हमारा भारत भी है.आज़ादी के ७० वर्षो के बाद भी हमारे देश के हर नागरिक को साफ़ पानी,पौष्टिक आहार और २४ घंटे बिजली उपलब्ध नहीं है.
यह ग्रामीण भारत ही नहीं अपितु कई शहरो की भी मुख्य समस्या बन गया है.भारत में तेज शहरीकरण की वजह से शहरो में जनसँख्या इतनी तेजी से बड़ी है कि सरकार समझ ही नहीं पा रही है कि वह सभी नागरिको को कैसे साफ़ पानी और पौष्टिक आहार मुहैया करवाये?
साफ़ पानी की समस्या इतनी विकराल है कि दुनिया के कई बुद्धिजीवियों ने तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए ही होने की घोषणा भी कर दी थी.आज-कल खेतो में रासायनिक खादों के अंधाधुंध उपयोग के कारण पौष्टिक आहार मिलना अतयंत दुर्लभ हो गया है.ऑर्गनिक प्रोडक्ट के नाम पर लूट मची हुई है.
billion’s in change 2 एक ऐसा आंदोलन है जिससे कि ग्रामीण भारत और देश के पिछड़े हिस्सों की तस्वीर काफी हद तक बदल सकती है.इस आंदोलन का नाम billion’s in change इसलिए पड़ा क्योकि इसकी सहायता से दुनिया भर में करोड़ो-अरबो लोगो के जीवन में काफी सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है.
यह दूसरे किसी स्वयमसह्यता समूह की तरह पैसे या सामान से किसी भी व्यक्ति अथवा समुदाय की मदद में विशवास नहीं करता है.इसका उद्देश्य लोगो को आत्मनिर्भर बनाना है और निरोगी रखना है.
billion’s in change आंदोलन के संस्थापक एक भारतीय मूल के अरबपति श्री मनोज भार्गव जी है.जिनका मानना है कि अगर आधार पर चीजे सही कर दी जाये तो ऊपर चीजे सही होती जाती है.श्री मनोज भार्गव जी “५ ऑवर एनर्जी”नामक एनर्जी ड्रिंक बनाने वाली कंपनी के स्वामी है.
ये अपनी आमदनी का ९९% हिस्सा परोपकार के कार्य के लिए दान दे देते है.इनका जन्म लखनऊ में १९५३ में हुवा था.१९६७ में ये अपने परिवार के साथ अमेरिका चले गए थे. १९७२ में अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करके यह फिर भारत आ गए और १२ साल हंसलोक संस्था के विभिन्न आश्रमों में रहे.
फिर यह वापस अमेरिका चले गए वंहा पर यह अपने पारिवारिक बिज़नेस से जुड़ गये.”५ ऑवर एनर्जी” ड्रिंक का उत्पादन इन्होने २००३ से शुरू किया और २०१२ में अमेरिका के एनर्जी ड्रिंक्स के ९०% मार्किट पर कब्ज़ा कर लिया.
इनका मानना है कि मूलभूत आवश्यकताओ को सभी लोगो तक पहुंचने के लिए नए आविष्कारों की जरुरत है.इस कार्य के लिए इनकी एक प्रयोगशाला अमेरिका के फार्मिंगटन हिल्स में स्टेज 2 के नाम से है.इस प्रयोगशाला में ऐसे उत्पाद बनाये जाते है जिनसे कि लोगो की मूलभूत आवश्यकताओ साफ़ पानी,पौष्टिक आहार,बिजली और अच्छा स्वास्थ्य की जरुरत को कम से कम दाम में पूरी की जा सके.
यँहा पर हंस पावरपैक, हंस सोलर ब्रीफकेस, और हंस फ्री इलेक्ट्रिक बाइक; खारे, गंदे और समुद्री पानी के लिए मशीनें, और रिन्यू ईसीपी मशीन इत्यादि बनाई जा रही है.इनके उपयोग से आने वाले गले १०-१५ सालो में करोड़ो लोगो के जीवन और जीवन स्तर में व्यापक बदलाव आएंगे.
इस आंदोलन का फोकस मुख्यतया: क्षेत्रो पर है :-
१. साफ़ पानी:- पानी जीवन की मूलभूत आवश्यकता भी है.इसके बिना जीवन संभव नहीं है.दुनिया भर के कई देशो में और हमारे देश भारत में करोड़ो लोगो को साफ़ पीने का पानी मयस्सर नहीं है.सैकड़ो बीमारियाँ दूषित पानी पीने से फैलती है.जिनके इलाज में ही लोगो का और सरकार का बहुत सारा धन खर्च हो जाता है.इसके समाधान के लिए इस billion’s in change आंदोलन ने रेनमेकर नाम की दो मशीन बनायीं है.
एक खारे पानी को सही करती है तो दूसरी प्रदूषित पानी को.यह पानी पूर्णतया हानिरहित और पीने के लिए सुरक्षित है.इनको चलाने में बहुत कम बिजली लगती है और इन्हे तुरंत उपयोग में लाया जा सकता है.दोनों मशीनो से ५-१० गैलन पानी हर मिनट सही करके पीने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है.
२. बिजली:- आज का पूरा जीवन बिजली पर अतिनिर्भर हो गया है.बिजली भी मूलभूत आवश्यकतावो में शामिल हो गयी है.किसी भी राष्ट्र की उन्नति के लिए बिजली अत्यंत आवश्यक है.दुनिया के बहुत से लोग और घर बिना बिजली अथवा अत्यंत कम बिजली से अपना काम चला रहे है.
हमारे देश में भी कई राज्य और उनमे रहने वाले लोगो को पूर्ण बिजली नहीं मिल पा रही है.बिजली की रोजमर्रा की आवश्यकतावो की पूर्ति के लिए billion’s in change आंदोलन ने अपने तीन प्रोडक्ट हंस पॉवरपैक,हंस सोलर ब्रीफ़केस और हंस फ्री इलेक्ट्रिक बाइक बनाये है. हंस पॉवरपैक से घर के छोटे बिजली उपकरण आसानी से चलाये जा सकते है.
इसमें एक बल्ब भी लगा है जिसे इसको अँधेरे में भी उपयोग कर सकते है.इसको आसानी से चार्ज किया जा सकता है.इसके लिए इसमें सोलर पैनल लगे है.इसको हंस सोलर ब्रीफ़केस से अथवा हंस फ्री इलेक्ट्रिक बाइक सेभी चार्ज कर सकते है.यह बहुत मजबूत और टिकाऊ है.
३.खेती :- खेती में कम समय में लाभ कमाने के लिए किसानो ने अपने खेतो में यूरिया का अंधाधुंध प्रयोग किया.पंजाब और हरियाणा में इसके उपयोग से किसानो को अच्छा लाभ हुवा था.अब हालत तेजी से बिगड़ रहे है.खेतो की उपजाऊ क्षमता में तेजी से कमी आ रही है और अब खेती लाभप्रद नहीं रह गयी है.किसानो की माली हालत इतनी खराब हो गयी है कि किसानो को अब आत्महत्या करना पड़ रहा है.कृषि में रासायनिक खादों के बढ़ते प्रयोग से खेतो में उत्पन्न अनाज भी दूषित हो गए है.
इस अनाज को खाने से आम आदमी विभिन्न प्रकार के रोगो से भी ग्रषित होता जा रहा है.इन सभी समस्याओ के निजात के लिए billion’s in change आंदोलन ने एक नए प्रकार का जैविक खाद बनाया है.इसको शिवांश खाद का नाम दिया गया है.इस खाद के उपयोग से खेतो की उर्वरता शक्ति में बढ़ोतरी होती है.इस खाद के उपयोग से पहली बार में ही यूरिया की खपत आधी और फास्फोरस का उपयोग एकदम बंद किया जा सकता है.
शिवांश खाद के दूसरी बार उपयोग से यूरिया की खपत बिलकुल ख़त्म की जा सकती है.यह अपने घर में केवल १८ दिनों में कोई भी बना सकता है.
४.स्वास्थ्य:- हमारे यँहा एक कहावत है कि “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है”.स्वस्थ्य मस्तिष्क से व्यक्ति का विकास होता है.अगर आदमी स्वस्थ्य ना हो तो उसे सब खानपान,सब धन और सब तरह का वैभव मिट्टी के समान लगता है.गरीब जनता की आमदनी का एक अच्छा ख़ासा हिस्सा बीमारियों के इलाज में ही खर्च हो जाता है.
कई बार तो अच्छे परिवार के लोग भी बीमारियों के चंगुल में फंस कर आर्थिक विपन्नता की स्थिति में आ जाते है.अच्छे स्वस्थ्य से हम देश की उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही बीमारियों पर होने वाले खर्च को भी कम कर सकते है.इससे लोगो के जीवन स्तर में काफी सुधार आ सकता है. BIc2 आंदोलन ने एक मशीन (रिन्यू ईसीपी) बनाई है.यह मशीन शरीर में खून के बहाव की गति को बढ़ा देता है.
खून के बहाव की गति अच्छी होने से शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता काफी बढ़ जाती है.खराब ब्लड सर्क्युलेशन की वजह से कई तरह की गंभीर बीमारियाँ जैसे मधुमेह,कैंसर,हाई ब्लड प्रेसर और हृदय रोग हो सकता है.रिन्यू ईसीपी के उपयोग से इन बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है.
दुनिया के हर किसी देश का सपना होता है कि वह अपने नागरिको को साफ़ पानी और पौष्टिक भोजन उपलब्ध करा पाए.खासकर विकासशील देश जिनमे हमारा भारत भी है.आज़ादी के ७० वर्षो के बाद भी हमारे देश के हर नागरिक को साफ़ पानी,पौष्टिक आहार और २४ घंटे बिजली उपलब्ध नहीं है.
यह ग्रामीण भारत ही नहीं अपितु कई शहरो की भी मुख्य समस्या बन गया है.भारत में तेज शहरीकरण की वजह से शहरो में जनसँख्या इतनी तेजी से बड़ी है कि सरकार समझ ही नहीं पा रही है कि वह सभी नागरिको को कैसे साफ़ पानी और पौष्टिक आहार मुहैया करवाये?
साफ़ पानी की समस्या इतनी विकराल है कि दुनिया के कई बुद्धिजीवियों ने तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए ही होने की घोषणा भी कर दी थी.आज-कल खेतो में रासायनिक खादों के अंधाधुंध उपयोग के कारण पौष्टिक आहार मिलना अतयंत दुर्लभ हो गया है.ऑर्गनिक प्रोडक्ट के नाम पर लूट मची हुई है.
billion’s in change 2 एक ऐसा आंदोलन है जिससे कि ग्रामीण भारत और देश के पिछड़े हिस्सों की तस्वीर काफी हद तक बदल सकती है.इस आंदोलन का नाम billion’s in change इसलिए पड़ा क्योकि इसकी सहायता से दुनिया भर में करोड़ो-अरबो लोगो के जीवन में काफी सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है.
यह दूसरे किसी स्वयमसह्यता समूह की तरह पैसे या सामान से किसी भी व्यक्ति अथवा समुदाय की मदद में विशवास नहीं करता है.इसका उद्देश्य लोगो को आत्मनिर्भर बनाना है और निरोगी रखना है.
billion’s in change आंदोलन के संस्थापक एक भारतीय मूल के अरबपति श्री मनोज भार्गव जी है.जिनका मानना है कि अगर आधार पर चीजे सही कर दी जाये तो ऊपर चीजे सही होती जाती है.श्री मनोज भार्गव जी “५ ऑवर एनर्जी”नामक एनर्जी ड्रिंक बनाने वाली कंपनी के स्वामी है.
ये अपनी आमदनी का ९९% हिस्सा परोपकार के कार्य के लिए दान दे देते है.इनका जन्म लखनऊ में १९५३ में हुवा था.१९६७ में ये अपने परिवार के साथ अमेरिका चले गए थे. १९७२ में अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करके यह फिर भारत आ गए और १२ साल हंसलोक संस्था के विभिन्न आश्रमों में रहे.
फिर यह वापस अमेरिका चले गए वंहा पर यह अपने पारिवारिक बिज़नेस से जुड़ गये.”५ ऑवर एनर्जी” ड्रिंक का उत्पादन इन्होने २००३ से शुरू किया और २०१२ में अमेरिका के एनर्जी ड्रिंक्स के ९०% मार्किट पर कब्ज़ा कर लिया.
इनका मानना है कि मूलभूत आवश्यकताओ को सभी लोगो तक पहुंचने के लिए नए आविष्कारों की जरुरत है.इस कार्य के लिए इनकी एक प्रयोगशाला अमेरिका के फार्मिंगटन हिल्स में स्टेज 2 के नाम से है.इस प्रयोगशाला में ऐसे उत्पाद बनाये जाते है जिनसे कि लोगो की मूलभूत आवश्यकताओ साफ़ पानी,पौष्टिक आहार,बिजली और अच्छा स्वास्थ्य की जरुरत को कम से कम दाम में पूरी की जा सके.
यँहा पर हंस पावरपैक, हंस सोलर ब्रीफकेस, और हंस फ्री इलेक्ट्रिक बाइक; खारे, गंदे और समुद्री पानी के लिए मशीनें, और रिन्यू ईसीपी मशीन इत्यादि बनाई जा रही है.इनके उपयोग से आने वाले गले १०-१५ सालो में करोड़ो लोगो के जीवन और जीवन स्तर में व्यापक बदलाव आएंगे.
इस आंदोलन का फोकस मुख्यतया: क्षेत्रो पर है :-
१. साफ़ पानी:- पानी जीवन की मूलभूत आवश्यकता भी है.इसके बिना जीवन संभव नहीं है.दुनिया भर के कई देशो में और हमारे देश भारत में करोड़ो लोगो को साफ़ पीने का पानी मयस्सर नहीं है.सैकड़ो बीमारियाँ दूषित पानी पीने से फैलती है.जिनके इलाज में ही लोगो का और सरकार का बहुत सारा धन खर्च हो जाता है.इसके समाधान के लिए इस billion’s in change आंदोलन ने रेनमेकर नाम की दो मशीन बनायीं है.
एक खारे पानी को सही करती है तो दूसरी प्रदूषित पानी को.यह पानी पूर्णतया हानिरहित और पीने के लिए सुरक्षित है.इनको चलाने में बहुत कम बिजली लगती है और इन्हे तुरंत उपयोग में लाया जा सकता है.दोनों मशीनो से ५-१० गैलन पानी हर मिनट सही करके पीने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है.
२. बिजली:- आज का पूरा जीवन बिजली पर अतिनिर्भर हो गया है.बिजली भी मूलभूत आवश्यकतावो में शामिल हो गयी है.किसी भी राष्ट्र की उन्नति के लिए बिजली अत्यंत आवश्यक है.दुनिया के बहुत से लोग और घर बिना बिजली अथवा अत्यंत कम बिजली से अपना काम चला रहे है.
हमारे देश में भी कई राज्य और उनमे रहने वाले लोगो को पूर्ण बिजली नहीं मिल पा रही है.बिजली की रोजमर्रा की आवश्यकतावो की पूर्ति के लिए billion’s in change आंदोलन ने अपने तीन प्रोडक्ट हंस पॉवरपैक,हंस सोलर ब्रीफ़केस और हंस फ्री इलेक्ट्रिक बाइक बनाये है. हंस पॉवरपैक से घर के छोटे बिजली उपकरण आसानी से चलाये जा सकते है.
इसमें एक बल्ब भी लगा है जिसे इसको अँधेरे में भी उपयोग कर सकते है.इसको आसानी से चार्ज किया जा सकता है.इसके लिए इसमें सोलर पैनल लगे है.इसको हंस सोलर ब्रीफ़केस से अथवा हंस फ्री इलेक्ट्रिक बाइक सेभी चार्ज कर सकते है.यह बहुत मजबूत और टिकाऊ है.
३.खेती :- खेती में कम समय में लाभ कमाने के लिए किसानो ने अपने खेतो में यूरिया का अंधाधुंध प्रयोग किया.पंजाब और हरियाणा में इसके उपयोग से किसानो को अच्छा लाभ हुवा था.अब हालत तेजी से बिगड़ रहे है.खेतो की उपजाऊ क्षमता में तेजी से कमी आ रही है और अब खेती लाभप्रद नहीं रह गयी है.किसानो की माली हालत इतनी खराब हो गयी है कि किसानो को अब आत्महत्या करना पड़ रहा है.कृषि में रासायनिक खादों के बढ़ते प्रयोग से खेतो में उत्पन्न अनाज भी दूषित हो गए है.
इस अनाज को खाने से आम आदमी विभिन्न प्रकार के रोगो से भी ग्रषित होता जा रहा है.इन सभी समस्याओ के निजात के लिए billion’s in change आंदोलन ने एक नए प्रकार का जैविक खाद बनाया है.इसको शिवांश खाद का नाम दिया गया है.इस खाद के उपयोग से खेतो की उर्वरता शक्ति में बढ़ोतरी होती है.इस खाद के उपयोग से पहली बार में ही यूरिया की खपत आधी और फास्फोरस का उपयोग एकदम बंद किया जा सकता है.
शिवांश खाद के दूसरी बार उपयोग से यूरिया की खपत बिलकुल ख़त्म की जा सकती है.यह अपने घर में केवल १८ दिनों में कोई भी बना सकता है.
४.स्वास्थ्य:- हमारे यँहा एक कहावत है कि “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है”.स्वस्थ्य मस्तिष्क से व्यक्ति का विकास होता है.अगर आदमी स्वस्थ्य ना हो तो उसे सब खानपान,सब धन और सब तरह का वैभव मिट्टी के समान लगता है.गरीब जनता की आमदनी का एक अच्छा ख़ासा हिस्सा बीमारियों के इलाज में ही खर्च हो जाता है.
कई बार तो अच्छे परिवार के लोग भी बीमारियों के चंगुल में फंस कर आर्थिक विपन्नता की स्थिति में आ जाते है.अच्छे स्वस्थ्य से हम देश की उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही बीमारियों पर होने वाले खर्च को भी कम कर सकते है.इससे लोगो के जीवन स्तर में काफी सुधार आ सकता है. BIc2 आंदोलन ने एक मशीन (रिन्यू ईसीपी) बनाई है.यह मशीन शरीर में खून के बहाव की गति को बढ़ा देता है.
खून के बहाव की गति अच्छी होने से शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता काफी बढ़ जाती है.खराब ब्लड सर्क्युलेशन की वजह से कई तरह की गंभीर बीमारियाँ जैसे मधुमेह,कैंसर,हाई ब्लड प्रेसर और हृदय रोग हो सकता है.रिन्यू ईसीपी के उपयोग से इन बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है.
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