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नोटबंदी के 10 बड़े फायदे

ragehulk
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मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए 8 नवंबर 2016 को देश में नोटबंदी लागू कर दी थी, जिससे ५०० और १००० रुपए के नोट प्रचलन से बाहर हो गए. उनकी जगह नए २००० और ५०० रुपए के नोट लाये गए थे. भ्रष्टाचार और काले धन पर यह सरकार द्वारा बड़ी चोट थी. उस समय यह उम्मीद जताई गयी थी कि लगभग ४-५ लाख करोड़ का कालाधन वापस सरकार के पास नहीं आएगा और स्वयं ही नष्ट हो जायेगा. इसके साथ ही नकली नोटों, आतंकवाद, हवाला कारोबार और नक्सली हिंसा पर भी रोक लगाई जा सकेगी.


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अब जबकि RBI ने ये घोषणा कर दी है कि लगभग ९९% से कुछ ज्यादा के पुराने नोट वापस RBI के पास आ चुके हैं, तो विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहना शुरू कर दिया है कि नोटबंदी असफल रही है. केवल १६००० करोड़ के पुराने नोट ही वापस RBI के पास नहीं आये हैं. सरकार ने भी नोटबंदी सफल होने के पक्ष में कई आंकड़े गिनाये हैं. देश में नोटबंदी सफल रही या असफल रही, ये बड़ा विचार-विमर्श का मुद्दा बन गया है.


मेरे हिसाब से नोटबंदी सफल रही है. विपक्ष ने केवल दो आधार पर नोटबंदी के असफल होने की घोषणा करनी शुरू कर दी है. वैसे तो विपक्ष के हिसाब से नोटबंदी पहले दिन से ही फेल रही है. पहला आधार लगभग ९९% नोटों का बैंकिंग सिस्टम में वापस आना है. अब यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बैंक में केवल जमा होने से सारा कलाधन सफ़ेद हो गया? सरकार का कहना है लगभग 1 लाख बैंक खातों की अभी जांच चल रही है, जिनमें 1.5 लाख करोड़ का धन बिना उचित कागजात के जमा कराये गए हैं. नोटबंदी से पहले RBI की एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 40% बड़े नोट बाजार में चलन में ही नहीं थे. ये नोट भ्रष्टाचारियों के तिजोरी या बैंक लाकर में बंद थे. नोटबंदी के बाद वो RBI के द्वारा वापस अब बाजार में आएंगे.


दूसरा आरोप था कि सरकार और RBI ने नए नोट छापने में बहुत पैसा खर्च कर दिया. तो यहां मैं ये बताता चलूं कि सरकार के कुल ७९६५ करोड़ रुपये साल २०१६-२०१७ में नए नोट छापने में खर्च हुए. साल २०१५-२०१६ में यह आंकड़ा ३४२० करोड़ रुपए था. सरकार ने कुल ४५४५ करोड़ रुपए ज्यादा खर्च किये नोटबंदी के कारण नए नोटों की छपाई में. अब अगर १६००० करोड़ रुपए जो कि सामने दिख रहा है कि सरकार को लाभ हुआ उसमें से ये पैसा घटा भी दें तो सरकार अभी ११५०० करोड़ के फायदे में रही है.


इससे पहले की सरकार के वित्त मंत्री जी ने ट्वीट कर एक मनगढंत आंकड़ा पेश करते हुए बताया कि २०००० करोड़ रुपए नए नोट छापने में खर्च हुए. मगर वो ये नहीं बता पाए कई ये आकंड़ा उन्होंने कहाँ से लिया? इसी मनगढंत आंकड़े के आधार पर विपक्षी और उनके समर्थक नोटबंदी को असफल बताने लगे. हालाँकि अब वे शांत हैं, क्योंकि उनकी पोल अब खुल चुकी है.


नोटबंदी से बड़े फायदे हुए उस पर अभी काफी विचार-विमर्श चल रहा है. कुछ फायदे जो मुझे प्रत्यक्ष दिखे, उनका मैं वर्णन करना चाहता हूँ.


१. सस्ता लोन:- आज की तारीख में सभी कर्जों पर ब्याज की दरें काफी कम हो गयी हैं और मकान ऋण पर सरकार द्वारा भारी सब्सिडी भी अलग से दी जा रही है. बैंको के पास कैश का प्रचुर भण्डार हो गया है, जिससे उन्हें लोन बांटने और ब्याज दरें सीमित रखने में काफी सहूलियत हो गयी है.


२. नगर निकाय और स्थानीय निकायों की आमदनी में भारी वृद्धि:- नोटबंदी लागू होते ही आम जनता ने अपने सभी तरह के टैक्स देने में पुराने नोटों का उपयोग ज्यादा किया. वर्षों पुराने कर्जे, बिजली और पानी के बिल लोगों ने भर दिए, जिससे स्थानीय निकायों को भारी आमदनी हुई. इससे इनकी कर्ज वसूलने की लागत घटी और ये घाटे से उबरकर फायदे में आ गए.


३. सामाजिक सुरक्षा:- नोटबंदी से फैक्ट्रियों के कामगारों को जबरदस्त फायदा हुआ. कई फैक्ट्री मालिकों ने २-२ महीने एडवांस सैलरी दी. पूरे देश में लगभग १ करोड़ से अधिक नए कामगार कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) में पंजीकृत हुए हैं. सामाजिक सुधार में नोटबंदी को इस लिहाज से बड़ा कदम माना जा सकता है, जिससे एक झटके में ही इतनी बड़ी संख्या में कर्मचारी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आ गए. ये संख्या लगभग ३०% अधिक है पूर्व कई तुलना में. इन्हें नोटबंदी का सीधा फायदा मिला. अगर नोटबंदी नहीं होती, तो इन्हें अभी कई वर्षों तक सामाजिक सुरक्षा का इंतजार करना पड़ता. ५०लाख के लगभग कामगारों का बैंक में सैलरी अकाउंट भी नियोक्ताओं द्वारा खुलवाया गया, जिससे अब इन्हें सीधे अपने बैंक खाते में सैलरी मिलने लगी. इस कदम से ये फायदा हुआ कि पहले जो कामगार १० हजार पर हस्ताक्षर करके ८ हजार ही पाते थे, उन्हें अब पूरे १० हज़ार अपने खाते में मिलने लगे.


४. प्रत्यक्ष आयकर में २५% से ज्यादा की वृद्धि:- नोटबंदी के बाद प्रत्यक्ष आयकर संग्रहण में २५% की वृद्धि हुई है. ९१ लाख नए टैक्स पेयर भी बढे हैं, जिसका हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा. इनमें से कई लाख वो लोग हैं, जिन्होंने पहले कभी भी टैक्स नहीं भरा था या एक निश्चित आमदनी पर ही पिछले कई वर्षों से टैक्स रिटर्न फाइल करते आ रहे थे. कइयों ने इस बार अपने रिटर्न में भारी बदलाव किया है और सरकार उन सभी पर नजर रखे हुए है. लगभग ३० हजार लोगों को नोटिस भी जा चुका है.


५. भारतीय मुद्रा का स्वदेशीकरण:- मोदी सरकार का नोटबंदी का एक बड़ा उद्देश्य यह भी था कि भारत अब अपनी मुद्रा का पूर्ण स्वदेशीकरण करे. अभी तक नोट बनाने में प्रयुक्त होने वाली सामग्री जैसे स्याही, कागज और सुरक्षा धागा तक विदेश से मंगवाना पड़ता है. केवल इतना ही नहीं नोटों में प्रयुक्त सुरक्षा मानक भी विदेशी हैं. यही सुरक्षा मानक विश्व के कई देशो में भी प्रचलित हैं. इसका फायदा उठाकर विदेशी ख़ुफ़िया एजेन्सियां भारत की नकली मुद्रा छापकर भारत को भारी आर्थिक क्षति पहुंचा रही थीं. सरकार का उद्देश्य है कि अगले ३ से ५ सालों में भारत की सम्पूर्ण मुद्रा स्वदेशी हो, जिससे नक़ली मुद्रा छापना काफी कठिन हो जाये. नए सुरक्षा मानक भी भारत की जरूरतों के अनुसार हैं.


६. नकली नोटों पर भारी चोट:- कुछ वर्षों पहले आई RBI की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था में चलने वाले बड़े नोटों में लगभग २०%-२५% नोट नक़ली हैं. विदेशी ख़ुफ़िया एजेन्सियां भारत में अधिक से अधिक नक़ली नोट खपाने की तैयारी में थीं. सरकार द्वारा अचानक नोटबंदी की घोषणा करने से इन्हें बहुत बड़ा झटका लगा है. इनके सारे नकली नोट रद्दी हो गए तथा अब इन्हें अपना पूरा नया सेटअप बैठना होगा. नए नोटों के आने के बाद नकली नोट पकड़े जाने की घटनाओं में भारी कमी आयी है. ज्यादातर मामलो में फोटोकॉपी किये हुए या रंगीन प्रिंट किये हुवे नोट ही नक़्क़ालों ने बाजार में चलाने की कोशिश की है.


७. प्रतिलिपि मुद्रा:- नोटबंदी से एक अहम् और बहुत बड़ा खुलासा हो सकता है. भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रतिलिपि मुद्रा का पता चलना. प्रतिलिपि मुद्रा या नोट, वह नोट होते हैं जिनका सीरियल नंबर एक ही होता है. मतलब एक ५०० के नोट का सीरियल नंबर १२३४५ है, तो दूसरे वाले नोट का भी सीरियल नंबर १२३४५ ही है. ऐसी मुद्रा के बाजार में चलन के कारण मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा, अगर १००% से ज्यादा असली नोट RBI के पास वापस आ जायें. अब यह नोट नकली की श्रेणी में नहीं आएगा और कोई बैंक या सरकारी एजेंसी इसको नहीं पकड़ पाएगी. RBI ने नोटबंदी होने के कुछ वर्ष पहले ही एक खास सीरियल नंबर के ५०० और १००० के नोट अवैध घोषित कर दिए थे, इसकी वजह शायद यही थी। यह मामला आम आदमी की सोच से परे और काफी ऊंचे स्तर के लोगों द्वारा प्रायोजित था. इस मामले की कलई कब खुलेगी इसका इंतजार मुझे भी है.


८. फर्जी कंपनियों की बंदी:- 2,10,000 से ज्यादा शैल (फर्जी) कम्पनियां नोटबंदी के दौरान पकड़ी गयी हैं. इन कंपनियों का मुख्य काम काले धन को सफ़ेद करना था. इन कंपनियों में कुछ भी उत्पादन या किसी तरह का व्यापार नहीं होता था. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्‍येंद्र जैन और मायावती के भाई ऐसी ही कंपनियों के संचालन के कारण जाँच एजेंसीज के शक के दायरे में हैं. लगभग १ लाख डायरेक्टर लोगों को इस मामले में नोटिस भेजा गया है. अगर वो समुचित जवाब नहीं दे पाते हैं, तो जेल जाने के साथ-साथ जीवन भर के लिए इन पर कंपनी संचालन के लिए प्रतिबन्ध लग जायेगा.


९. देशद्रोही गतिविधियों में भारी कमी:- कश्मीर की पत्थरबाज़ी, हवाला कारोबार, ड्रग्स का कारोबार, नकली नोट, उत्तर पूर्व का आतंकवाद और नक्सली हिंसा की गतिविधियों पर लगाम लगी है और इन घटनाओं में भारी कमी आयी है. कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के ठिकानों पर रोज छापे पड़ रहे हैं. इनकी सारी संदिग्ध गतिविधियों के लिए काला धन जिन-जिन आर्थिक रास्तों से आता है, भारत सरकार को नोटबंदी के दौरान लगभग सभी रास्तों और उनसे जुड़े लोगों का पता चल गया. नोटबंदी के बाद बहुत सारे नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है. इनमें कई बड़े १० लाख और उससे ज्यादा के इनामी नक्सली भी शामिल हैं. ड्रैस और हवाला व्यापारी बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं.


१०. देश के विकास के लिए समुचित धन का इंतजाम:- देश की अर्थव्यवस्था और बैंकिंग सिस्टम में पैसा आने पर सरकार को अपनी बड़ी योजनाओं के लिए धन जुटाने में अब ज्यादा मुश्किल नहीं होगी. बुलेट ट्रेन, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, स्मार्ट सिटी, सागरमाला प्रोजेक्ट और नदी जोड़ो जैसी महान परियोजनाओं के लिए धन की कमी महसूस नहीं होगी. रक्षा क्षेत्र में भी सरकार की जरूरतें पूरी हो जाएंगी. अब तक सरकार ने भारतीय सेना को मजबूत बनाने के लिए लगभग 2 लाख करोड़ के रक्षा समझौते किये हैं. उम्मीद है आगे इस क्षेत्र की कई बड़ी परियोजनाओं के लिए भी धन उपलब्ध होगा.


ईमानदार सरकार की इमेज बनी


उपरोक्त बड़े फायदों के साथ कई और भी फायदे हुए हैं. मोदी सरकार की इमेज जनता में ईमानदार सरकार की बनी है. इसके साथ ही नरेंद्र मोदी जी इमेज और मजबूत होकर उभरी है. जनता ने नोटबंदी के फैसले को हाथोंहाथ लिया और नोटबंदी के बाद का हर चुनाव बीजेपी ने जीता है. जनता ने पहली बार नेताओं को इतना परेशान देखा. अब तक तो जनता ही हमेशा परेशान रहती थी. कुछ विपक्षी नेता तो बिलकुल ही अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे थे. केजरीवाल, मायावती और ममता बनर्जी तो इस फैसले के मुखर विरोधी थे. मायावती जी को तो जनता ने करारा जवाब दिया और आज ये किसी भी सदन की सदस्य तक नहीं हैं.


अरविन्द केजरीवाल गोवा और पंजाब का चुनाव बुरी तरह हारे. केवल ममता ही अपना किला बचा पायीं. लालू की बिहार सरकार गिर गयी और सपरिवार अब जांच एजेंसीज के शिकंजे में हैं. अखिलेश यादव अपनी पार्टी को ऐतिहासिक न्यूनतम सीटों पर ले आये. कांग्रेस पहले से ही पस्त थी, अब और हो गयी है. पंजाब में चुनाव जीतकर कांग्रेस अपनी थोड़ी इज्जत बचा पायी है.


नोटबंदी के बाद कागज के नोटों की जरूरत अर्थव्यवस्था में कम रह गयी है, क्योंकि अब बहुत सारे लोग डिजिटल मुद्रा का प्रयोग करने लगे हैं. इससे डिजिटल विनिमय बहुत ज्यादा बढ़ गया है. बड़े शहरो में अब कैश की जरूरत कम रह गयी है. सरकार भी डिजिटल लेन-देन बढ़ाने के लिए काफी प्रोत्साहन दे रही है. इससे भविष्य में नोट छपने और उनके मेंटेनेंस का खर्चा काफी कम हो जायेगा और भ्रष्टाचार में भी भारी कमी आएगी, क्योंकि हर डिजिटल लेन-देन सरकार की नजर में रहेगा.


सरकार द्वारा दो ऐतिहासिक आर्थिक कदम नोटबंदी और GST लागू करने से देश की अर्थव्यवस्था पर थोड़ा प्रभाव पड़ा है. काला धन का प्रभाव कम होने से तथा ६ महीने के अंतराल पर ही दो बड़े सुधारवादी कदमों ने अर्थव्यवस्था में थोड़ी सुस्ती ला दी है. मगर जल्द ही इसके अच्छे नतीजे भी दिखाई देने शुरू होंगे और देश एक नयी ऊंचाइयों को छूएगा.

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