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कलाम को सलाम
पूरा देश रो रहा है,
अब्दुल कलाम के लिए
बात कलाम की नहीं,
देश के साथ इमां की है ।
जात से कोई फर्क नहीँ पड़ता,
हम उन्हें दिल से करते हैं सलाम
जो कर गये देश के नाम जिंदगी,
वे सच्चे देशभक्त थे कलाम ।
अब पता चला,
आसमां बरस नही रो रहा था,
वो जनता था एक फरिस्ता,
सदा के लिए सो रहा था ।
इसलिए,
झुका दो तिरंगा कुछ पल के लिए,
झुका दो तिरंगा कुछ पल के लिए ।
जिसने दे दिया अपना ज्ञान वतन के लिए
खुल गए जन्नत के द्वार उस रहनुमा के लिए ।
झुका दो तिरंगा कुछ पल के लिए,
झुका दो तिरंगा कुछ पल के लिए ।।
आपने देखा है सितारों को
आसमां से जमीं पर आते हुए,
हमने देखा है इक सितारे को
जमीं से आसमां में जाते हुए ।
वो न हिन्दू दीखता था,
न मुसलमां दीखता था,
हो गई आज खामोश,
वो आवाज़, सदा के लिए,
जिनकी बातों में केवल हिंदुस्तां दिखता था ।
इसलिए,
झुका दो तिरंगा कुछ पल के लिए,
झुका दो तिरंगा कुछ पल के लिए ।
कलाम साहब को हजारों सलाम ।
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