आरक्षण सुधार अब वक़्त और देश की जरुरत बन गयी है.आरक्षण एक ऐसी पहेली बन गया है जिसको सुलझाना सरकार के लिए कठिन होता जा रहा है.भारतीय समाज मे रोज रोज कोई न कोई वर्ग आरक्षण की मांग उठा रहा है.जो समुदाय आरक्षण से लाभान्वित है वो इसे छोड़ना नहीं चाहते या इसमें किसी भी तरह के बदलाव का भारी विरोध करते है और जो इससे वंचित है वो किसी भी तरह इससे लाभान्वित होना चाहते है.बीते कुछ वर्षो में आरक्षण के लिए देश कई आंदोलन देख चुका है जिसमे जान और माल दोनों की भारी क्षति हुई है.
केंद्र सरकार ने नया अति पिछड़ा वर्ग आयोग बना के उसे संवैधानिक दर्जा दिया है, जो यह देखेगा कि समाज के पिछड़े वर्ग में से कितनी जातिया अब सामाजिक और आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो चुकी है और कितनी जातियो को अभी पूर्ण लाभ नहीं मिल पाया है.विपक्ष के राज्यसभा में बहुमत के चलते अभी इस आयोग को संवैधानिक दर्जा नहीं मिल पाया है.भाजपा के राज्यसभा में बहुमत होने पर इसे संवैधानिक दर्जा मिल जाएगा.केंद्र सरकार ने क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ाते हुवे ८ लाख कर दी है.जिसका मतलब है की ८ लाख सलाना कमाने वाला अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित परिवार भी आरक्षण और अन्य सरकारी योजनावो का लाभ ले पायेगा.सामान्य वर्ग के लिए झटके से काम नहीं है.सामन्य वर्ग का गरीब किसी भी सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए १ लाख की आमदनी होने से ही वंचित हो जाता है और अन्य पिछड़ा वर्ग कोई व्यक्ति ८ लाख की आमदनी होने पर भी सभी सरकारी योजनावो का लाभ ले सकता है.इसे किसी भी रूप से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है.
मेरे विचार से सरकार को इस दिशा में कुछ कदम और उठाने चाहिए जिससे समाज के अधिकाधिक वर्गों और जातियो को आरक्षण से लाभ मिले.मेरे कई सुझाव है जो इस समस्या के समाधान में उपयोगी सिद्ध हो सकते है.
१. सभी सरकारी आरक्षित वर्ग के क्लास १ और २ के अधिकारियों के बच्चो को तुरन्त प्रभाव से आरक्षण का लाभ बंद कर दिया जाए. २. सरकारी क्लास ३ और ४ के कर्मचारियों को २ पीढ़ी से ज्यादा आरक्षण का लाभ ना मिल पाए. ३. तुरंत एक सरकारी कर्मचारियों की लिस्ट बनाया जाए जो की २ पीढ़ी से ज्यादा समय से आरक्षण का लाभ ले रहे है उनके बच्चो को तुरंत प्रभाव से आरक्षण से वंचित किया जाए. ४. जो भी लोग हिन्दू धर्म त्याग चुके है और केवल आरक्षण का लाभ पाने के लिये सरकारी दस्तावेजो में हिन्दू लिखते है उनको और उनके बच्चो को भी तुरंत प्रभाव से आरक्षण के लाभ से वंचित किया जाए. ५. जो जातिया आरक्षण से लाभान्वित होकर सामाजिक और आर्थिक रूप से सबल हो चुकी है उनको अब आरक्षण के दायरे से बाहर निकाला जाए साथ ही अगर कोई नयी जाति आरक्षण पाने के लिये योग्य है तो उसे तुरंत ही आरक्षित वर्ग में शामिल कर आरक्षण से लाभान्वित किया जाए. ६. आरक्षित वर्ग में आने वाली वो जाति जो कि बिलकुल ही आरक्षण की व्यवस्था का लाभ नहीं ले पायी है उनके लिये आरक्षण में ही आरक्षण की व्यवस्था की जाए जैसा की बिहार सरकार ने किया हुवा है महादलित जातियो के रूप में अलग से आरक्षित वर्ग में आरक्षण की व्यवस्था कर के. ७. कुछ आरक्षण की व्यवस्था आर्थिक रूप से पिछड़े लोगो के लिये भी की जाए जो आरक्षित वर्ग में नहीं आते.इसके अन्तर्गत सभी धर्मो के और जातियो के लोग होंगे. ८. बड़े नेताओ,ठेकेदारो तथा उद्यमियों को इसके लिए राजी किया जाए कि वो अपने दलित भाइयो (जिनको आरक्षण की ज्यादा जरुरत है) उनके लिये ये लोग स्वेक्षा से अपने परिजनों को मिलने वाले आरक्षण को छोड़ दे. ९. आरक्षित वर्ग के क्रीमी लेयर की परिभाषा एक समान हो.और आर्थिक रूप से विपन्न सामान्य वर्ग के क्षेत्रों को भी पर्याप्त छात्रवृति की व्यवस्था की जाये.
उपंरोक्त नियमो से समाज का वो तबका जिसको वास्तव में आरक्षण और अन्य सरकारी सहयोग की आवश्यकता है,उसका अधिकतर भाग लाभान्वित हो पायेगा.
अब जबकि कई प्रतियोगी परीक्षाओ में दलित और पिछड़ा वर्ग के छात्र बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे है.कल्पित वीरवाल और टीना डाबी जैसे छात्रों ने अपनी परीक्षाओ में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है.बहुत सारी राष्ट्रीय और राज्य स्तर की परीक्षावो में सामान्य वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग की मेरिट में कोई बहुत अंतर नहीं रह गया है.कई परीक्षाओ में तो अन्य पिछड़ा वर्ग की मेरिट सामान्य वर्ग से भी ज्यादा जा रही है.इन सब परिस्थितियों को देखते हुवे सरकार चाहे तो आरक्षण सुधार की तरफ कदम बढ़ा सकती है.
अगर 70 साल के बाद भी आरक्षण की व्यवस्था का उद्देश्य पूरा नहीं पा रहा है तो इसमें अब सुधार की जरुरत है.
सरकार को यह देखने की जरुरत है कि आरक्षण कि व्यवस्था हमारे समाज को लाभ पहुचाये ना कि किसी तरह की क्षति.कई समुदायों द्वारा आरक्षण के लिए किये जाने वाले आंदोलन शुभ संकेत नहीं है.ये भविष्य में वर्ग संघर्ष को भी जन्म दे सकते है.जिससे देश और समाज दोनों को क्षति पहुंचेगी.अतः सरकार को इस समस्या के समाधान और उचित सुधारो के प्रति अब सवेंदनशीलता दिखानी होगी.
आरक्षण का उपचार
आरक्षण सुधार अब वक़्त और देश की जरुरत बन गयी है.आरक्षण एक ऐसी पहेली बन गया है जिसको सुलझाना सरकार के लिए कठिन होता जा रहा है.भारतीय समाज मे रोज रोज कोई न कोई वर्ग आरक्षण की मांग उठा रहा है.जो समुदाय आरक्षण से लाभान्वित है वो इसे छोड़ना नहीं चाहते या इसमें किसी भी तरह के बदलाव का भारी विरोध करते है और जो इससे वंचित है वो किसी भी तरह इससे लाभान्वित होना चाहते है.बीते कुछ वर्षो में आरक्षण के लिए देश कई आंदोलन देख चुका है जिसमे जान और माल दोनों की भारी क्षति हुई है.
केंद्र सरकार ने नया अति पिछड़ा वर्ग आयोग बना के उसे संवैधानिक दर्जा दिया है, जो यह देखेगा कि समाज के पिछड़े वर्ग में से कितनी जातिया अब सामाजिक और आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो चुकी है और कितनी जातियो को अभी पूर्ण लाभ नहीं मिल पाया है.विपक्ष के राज्यसभा में बहुमत के चलते अभी इस आयोग को संवैधानिक दर्जा नहीं मिल पाया है.भाजपा के राजयसभा में बहुमत होने पर इसे संवैधानिक दर्जा मिल जाएगा.केंद्र सरकार ने क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ाते हुवे ८ लाख कर दी है.जिसका मतलब है की ८ लाख सलाना कमाने वाला अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित परिवार भी आरक्षण और अन्य सरकारी योजनावो का लाभ ले पायेगा.सामान्य वर्ग के लिए झटके से काम नहीं है.सामन्य वर्ग का गरीब किसी भी सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए १ लाख की आमदनी होने से ही वंचित हो जाता है और अन्य पिछड़ा वर्ग कोई व्यक्ति ८ लाख की आमदनी होने पर भी सभी सरकारी योजनावो का लाभ ले सकता है.इसे किसी भी रूप से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है.
मेरे विचार से सरकार को इस दिशा में कुछ कदम और उठाने चाहिए जिससे समाज के अधिकाधिक वर्गों और जातियो को आरक्षण से लाभ मिले.मेरे कई सुझाव है जो इस समस्या के समाधान में उपयोगी सिद्ध हो सकते है.
१. सभी सरकारी आरक्षित वर्ग के क्लास १ और २ के अधिकारियों के बच्चो को तुरन्त प्रभाव से आरक्षण का लाभ बंद कर दिया जाए.
२. सरकारी क्लास ३ और ४ के कर्मचारियों को २ पीढ़ी से ज्यादा आरक्षण का लाभ ना मिल पाए.
३. तुरंत एक सरकारी कर्मचारियों की लिस्ट बनाया जाए जो की २ पीढ़ी से ज्यादा समय से आरक्षण का लाभ ले रहे है उनके बच्चो को तुरंत प्रभाव से आरक्षण से वंचित किया जाए.
४. जो भी लोग हिन्दू धर्म त्याग चुके है और केवल आरक्षण का लाभ पाने के लिये सरकारी दस्तावेजो में हिन्दू लिखते है उनको और उनके बच्चो को भी तुरंत प्रभाव से आरक्षण के लाभ से वंचित किया जाए.
५. जो जातिया आरक्षण से लाभान्वित होकर सामाजिक और आर्थिक रूप से सबल हो चुकी है उनको अब आरक्षण के दायरे से बाहर निकाला जाए साथ ही अगर कोई नयी जाति आरक्षण पाने के लिये योग्य है तो उसे तुरंत ही आरक्षित वर्ग में शामिल कर आरक्षण से लाभान्वित किया जाए.
६. आरक्षित वर्ग में आने वाली वो जाति जो कि बिलकुल ही आरक्षण की व्यवस्था का लाभ नहीं ले पायी है उनके लिये आरक्षण में ही आरक्षण की व्यवस्था की जाए जैसा की बिहार सरकार ने किया हुवा है महादलित जातियो के रूप में अलग से आरक्षित वर्ग में आरक्षण की व्यवस्था कर के.
७. कुछ आरक्षण की व्यवस्था आर्थिक रूप से पिछड़े लोगो के लिये भी की जाए जो आरक्षित वर्ग में नहीं आते.इसके अन्तर्गत सभी धर्मो के और जातियो के लोग होंगे.
८. बड़े नेताओ,ठेकेदारो तथा उद्यमियों को इसके लिए राजी किया जाए कि वो अपने दलित भाइयो (जिनको आरक्षण की ज्यादा जरुरत है) उनके लिये ये लोग स्वेक्षा से अपने परिजनों को मिलने वाले आरक्षण को छोड़ दे.
९. आरक्षित वर्ग के क्रीमी लेयर की परिभाषा एक समान हो.और आर्थिक रूप से विपन्न सामान्य वर्ग के क्षेत्रों को भी पर्याप्त छात्रवृति की व्यवस्था की जाये.
उपंरोक्त नियमो से समाज का वो तबका जिसको वास्तव में आरक्षण और अन्य सरकारी सहयोग की आवश्यकता है,उसका अधिकतर भाग लाभान्वित हो पायेगा.
अब जबकि कई प्रतियोगी परीक्षाओ में दलित और पिछड़ा वर्ग के छात्र बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे है.कल्पित वीरवाल और टीना डाबी जैसे छात्रों ने अपनी परीक्षाओ में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है.बहुत सारी राष्ट्रीय और राज्य स्तर की परीक्षावो में सामान्य वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग की मेरिट में कोई बहुत अंतर नहीं रह गया है.कई परीक्षाओ में तो अन्य पिछड़ा वर्ग की मेरिट सामान्य वर्ग से भी ज्यादा जा रही है.इन सब परिस्थितियों को देखते हुवे सरकार चाहे तो आरक्षण सुधार की तरफ कदम बढ़ा सकती है.
अगर 70 साल के बाद भी आरक्षण की व्यवस्था का उद्देश्य पूरा नहीं पा रहा है तो इसमें अब सुधार की जरुरत है.सरकार को यह देखने की जरुरत है कि आरक्षण कि व्यवस्था हमारे समाज को लाभ पहुचाये ना कि किसी तरह की क्षति.कई समुदायों द्वारा आरक्षण के लिए किये जाने वाले आंदोलन शुभ संकेत नहीं है.ये भविष्य में वर्ग संघर्ष को भी जन्म दे सकते है.जिससे देश और समाज दोनों को क्षति पहुंचेगी.अतः सरकार को इस समस्या के समाधान और उचित सुधारो के प्रति अब सवेंदनशीलता दिखानी होगी.
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