Menu
blogid : 25582 postid : 1330016

RERA: एक क्रांतिकारी कदम

ragehulk
ragehulk
  • 33 Posts
  • 8 Comments

rera

१ मई से देशभर में बहुप्रतीक्षित रियल स्टेट सुधार बिल RERA लागू  कर दिया गया है.इस कानून के लागू होने से देशभर के लाखो निवेशक, जिनका पैसा रियल स्टेट सेक्टर में वर्षो से फंसा हुआ है और जिन पर किराए तथा EMI दोनों के रूप में दोहरी मार पड़ रही है, उनको काफी राहत मिलने की उम्मीद है.इस बिल के लागू होने से बिल्डरों को भी काफी राहत मिलेगी.उन्हें बैंको से लोन लेना आसान बना दिया गया है जिससे वो अपने रुके हुवे प्रोजेक्ट जल्द से जल्द पूर्ण कर सके और अपने  निवेशकों को अब जल्द से जल्द उनके फ्लैटों को पूर्ण करके दे सके.

इस कानून के लागू होने से स्वाभाविक रूप से निवेशकों को काफी राहत मिलेगी.उनको अब एक कानूनी रूप से एक हथियार मिल गया है जिससे वो बिल्डरों को किसी भी तरह के वादाखिलाफी और अवैध वसूली  करने के कारण, कानून के दायरे में ला सकेंगे.इस कानून के लागू होने के बाद अब बिल्डर सुपर एरिया के नाम पर निवेशकों को ठग नहीं पाएंगे उन्हें फ्लैट कारपेट एरिया के हिसाब से ही बेचना होगा.दो दीवारों के बीच की जगह को कारपेट एरिया में मन जायेगा.दीवारों को किसी भी हालत में कारपेट एरिया में शामिल नहीं किया जाएगा.पार्किंग के नाम होने वाली वसूली भी काफी हद तक रूक जाएगी.बालकनी,ओपन एरिया,पैसेज वे और सीढी के नाम पर होने वाली अवैध वसूली भी पूर्णरूप से रूक जाएगी. .इन सभी अवैध वसूलियों के रूक जाने से अब ये उम्मीद जताई जा रही है की फ्लैट के मूल्य में कमी आएगी और बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगेगी.

RERA में दलालो से भी मुक्ति का पूरा प्रबंध सरकार द्वारा किया गया है.इसमें जो भी रियल एस्टेट एजेंट किसी प्रोजेक्ट से जुड़ कर फ्लैट बेचेंगे उनको पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा.इसके साथ ही उस एजेंट को हर साल अपने पंजीकरण का नवीनीकरण करना जरुरी होगा.इससे कोई भी निवेशकों को सब्जबाग दिखा कर गायब नहीं हो पायेगा तथा बिल्डर भी अपनी जिम्मेद्दारी से मुक्त नहीं होंगे.निवेशकों को अपने प्रोजेक्ट के बारे में सभी जानकारी ऑनलाइन मिल जायेगी इसके साथ ही बिल्डर ने कौन कौन से अप्रूवल लिए है, उसकी भी पूर्ण जानकारी मिल जायेगी.इस प्रकार निवेशकों का जोखिम कम होगा.

प्री-लॉंचिंग के नाम होने वाली ठगी भी पूर्णतया रूक जाएगी.जब तक प्रोजेक्ट को सभी सम्बंधित विभागों से अप्रूवल नहीं मिल जाएगा, तब तक बिल्डर अपने प्रोजेक्ट को लांच नहीं कर सकेंगे और निवेशक भी फ़र्ज़ी बिल्डरो के जाल में नहीं फंसेंगे.बिल्डर को निवेशकों को समयबद्ध रूप से फ्लैट का हस्तांतरण करना अनिवार्य होगा.ऐसा करने में असफल रहने पर बिल्डर को निवेशकों को प्रोजेक्ट पेपर में लिखे हुवे ब्याज को देना होगा.

RERA के लागू होने के साथ ही एक और बड़ी राहत निवेशकों को मिलेगी.अब तक कम्प्लीशन के लिए आवेदन करने के साथ ही बिल्डर,निवेशकों को देय जरुरी ब्याज राशि से मुक्त हो जाता है, भले ही कम्प्लीशन कितने ही समय बाद मिले अथवा नहीं भी मिले.कम्प्लीशन सर्टिफिकेट के आवेदन के साथ ही बिल्डर, निवेशकों से फ्लैट का पूरा पैसा वसूल लेता था और निवेशकों पर दोहरी मार पड़ती थी.उनको अपने फ्लैट पर समय से कब्ज़ा भी नहीं मिल पाता था और ऐस्योर रिटर्न से भी हाथ धोना पड़ता था.

इतने फायदों के बाद भी RERA की राह में कई अड़चने है.अब तक केवल १३ राज्यों ने इस कानून को नोटीफाईड किया है.इन राज्यों ने अपनी सुविधाअनुसार इस कानून में बदलाव किये है.विभिन्न राज्यों ने बिल्डरो के हितो का ज्यादा ध्यान रखा है.दिल्ली में सरकार ने बिल्डरो को अपने खिलाफ चलने वाले मुकदमो की जानकारी देने से मुक्त कर दिया है.बिल्डर केवल उन्ही मामलों की जानकारी सार्वजनिक करेंगे जिनमे कोर्ट द्वारा फैसला सुनाया जा चूका है.हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी चल रहे प्रोजेक्ट्स को मामूली शर्तो पर इस कानून के दायरे से बाहर रखा है.गुजरात सरकार ने सभी चल रहे प्रोजेक्ट्स जो की नवम्बर २०१६ से पहले के शुरू हुवे है, इस कानून से बाहर रखा है इसके साथ ही रियल एस्टेट दलालो के लिए भी कोई नियम नहीं बनाये है.महाराष्ट्र आकार ने ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट पाने वाले प्रोजेक्ट्स को इस कानून से बाहर रखा है और एक प्रोजेक्ट को कई चरणों में बाँट दिया है. इसके उलट बिहार और ओड़िसा सरकार ने केंद्र सरकार के नियमो में कोई बदलाव नहीं किया है और हाउसिंग मंत्रालय द्वारा घोषित नियमो को ही अपने कानून में जोड़ा है.

निवेशकों को अभी तक कोई भी ऐसा मंच नहीं मिला था जहाँ पर वो अपने साथ होने वाले अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठा सके.निवेशक पुलिस कोर्ट और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के पास शिकायत करते करते परेशान हो चुके थे.लेकिन इस कानून के लागू होने से अब वह हर राज्य में गठित रियल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी में बिल्डरो के खिलाफ शिकायत कर सकता है.यहाँ पर सुनवाई नहीं होने पर अथवा इसके निर्णय से असंतुष्ट रहने पर निवेशक सेंट्रल अथॉरिटी में भी अपील कर सकता है. उम्मीद है की कम से कम रियल स्टेट क्षेत्र के निवेशकों के अच्छे दिन इन कदमो की वजह से आएंगे.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh