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भाजपा फिर हारी है….

ragehulk
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PIC IS ONLY FOR REPRESENTATION
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अभी संपन्न हुवे दिल्ली MCD  के चुनावों में भाजपा के पांचो मुस्लिम कैंडिडेट चुनाव हार गए और मुसलमानो का भाजपा पर अविश्वास कायम रहा.गुजरात के म्युनिसिपल चुनावों में भाजपाकुछ मुस्लिम वोट पाने में सफल रही और भाजपा के ११० मुस्लिम कैंडिडेट जीतने में सफल रहे.भाजपा का मुस्लिम वोट पाने की उम्मीद कायम है.कुछ और मुस्लिम सम्प्रदाय जैसे की दाऊदी वोहरा, इस्माइली और कुछ शिया वोट भी भाजपा को कुछ कुछ क्षेत्रो में मिल जाते है.

पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद का मुस्लिमो के संबंध में दिया गया बयान काफी चर्चा में रहा था जिसमे उन्होंने मुसलमानो पर भाजपा को वोट नहीं देने का आरोप लगाया था.उन्होंने कहा था कि “हमें कभी मुस्लिम वोट नहीं मिलते.हम इस बात को पूरी तरह से स्वीकार करते है लेकिन हमने उन्हें पूरी पवित्रता से स्वीकार किया है”.उनका ये भी कहना था की आज उनकी पार्टी की सरकार देश के १३ राज्यों में है और ५०% से ज्यादा जनसँख्या पर शासन है लेकिन कही भी किसी मुस्लिम के साथ भेदभाव की शिकायत नहीं आई है.सभी राज्यों में मुसलमान सम्मानपूर्वक अपना जीवन गुजार रहे है.

उनके ये विचार वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में काफी हद तक सही है.अधिकतर मुसलमानो को भाजपा के विरुद्ध शुरू से ही भड़काया जाता रहा है.मस्जिदों से खुले आम भाजपा को वोट ना देने के लिए भड़काया जाता है.जबकि तथाकथित सेक्युलर पार्टियों की सरकार में सबसे ज्यादा मुसलमानो का उत्पीड़न होता है.सबसे ज्यादा सांप्रदायिक दंगे भी तथाकथित सेक्युलर पार्टियों के शासन में ही हुवे है.

इन पार्टियों के नेता मुसलमानो को केवल वोट बैंक समझते है और उनके हितो के लिए दूरगामी निर्णय नहीं लेते है.इसका सबसे बड़ा उदहारण कांग्रेस पार्टी है जिसने मुसलमानो से ७० सालो तक वोट लिया और बदले में सच्चर कमेटी दी.सच्चर कमेटी कांग्रेस के मुँह पर तमाचा थी.सच्चर कमेटी ने मुसलमानो की बदहाली का विस्तृत वर्णन किया है और मुसलमानो को बदहाली से निकलने के लिए कुछ सुझाव दिए थे जिसे कांग्रेस की UPA २ की सरकार ने दबा दिया था. मुसलमानो को अपनी बदहाली का जवाब कांग्रेस पार्टी से मांगना चाहिए था लेकिन इसके उलट अभी भी ९०% तक मुसलमान किन्ही कारणों से कांग्रेस का समर्थन करते नजर आएंगे.मुसलमानो का कांग्रेस ने अपने नेतावो और मौलानाओ की सहायता से पूर्णतया ब्रेनबाश कर रखा है.

शाहनवाज हुसैन ,मुख्तार अब्बास नक़वी ,एम जे अकबर ,नजमा हेपतुल्लाह और आरिफ मोहम्मद खान जैसे भाजपा के मुस्लिम नेतावो को मुस्लिम समाज में अपेक्षित स्वीकार्यता नहीं मिली जिसकी प्रमुख वजह मुसलमानो का भाजपा के प्रति घृणा है.शाहनवाज हुसैन २०१४ के प्रचंड मोदी लहर में भी लोकसभा का चुनाव हार गए.जबकि शाहनवाज हुसैन साफ़ सुथरी छवि के बेहतरीन नेता माने जाते है और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी है.

RSS भाजपा की यह कमजोरी जानता है इसी लिए RSS ने राष्ट्रीय मुस्लिम मंच नामक एक संघठन बनाया है जिसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को भाजपा से जोड़ना तथा मुस्लिमो में भाजपा के विरुद्ध  फैलाये गए भ्रम को तोड़ना है. असम में संघ द्वारा संचालित सरस्वती विद्या मंदिर के एक मुस्लिम छात्र ने १०वी की परीक्षा में प्रदेश में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है.इसके अलावा झारखण्ड में मुस्लिम युवको को संघ द्वारा स्किल डेवलपमेंट की शिक्षा दे कर उनको नौकरी भी दिलवाई गयी है.संघ मुस्लिम समुदाय में पकड़ बनाने की जी तोड़ कोशिश में लगा हुवा है जिससे भाजपा की राह २०१९ के लोकसभा चुनावों में आसान की जा सके.

तीन तलाक़ के मसले पर भाजपा ने अपना स्पष्ट विरोध जता कर मुस्लिम महिलाओ और मुस्लिम प्रोग्रेसिव वोट पाने की कोशिश की है.इसका थोड़ा लाभ भाजपा को उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनावो में मिला है.शिया पर्सनल बोर्ड ने तीन तलाक़ के मुद्दे पर सरकार और भाजपा के रुख का समर्थन किया है.तीन तलाक़ और हलाला जैसी सामाजिक बुराई का विरोध तथा स्किल डेवलपमेंट द्वारा मुस्लिम युवाओ को रोजगार के अवसर प्रदान करने से भाजपा मुस्लिम समुदाय का विश्वास कुछ हद तक पा सकती है.उम्मीद है कि जल्द ही भारतीय मुसलमान सेक्युलर दलों की सच्चाई से अवगत होंगे.गज़वा ऐ हिन्द और इस्लामिक ब्रदरहुड के दिमागी फितूर से बाहर आएंगे और भाजपा के साथ जुड़ कर देश और अपने समुदाय को  विकास की राह पर ले चलेंगे.

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