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भारत माता के वीर सपूतो का सीना फिर से छलनी है

ragehulk
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आज फिर भारत माता ने अपने २५ वीर सपूत को खोया है,आज फिर भारत माता का आँचल अपने ही बच्चो के खून से लथपथ है,आज फिर कितने बुजुर्गो ने अपने जवान बच्चो को खोया है आज फिर कितने बच्चो का बाप नक्सलियों ने छीना है आज फिर कितनी सुहागनों का सुहाग उजड़ा है आज फिर कितनी बहनो ने अपने भाइयो को खोया है.आज भारत माता की आँखों में फिर से आंसू है,आज हर देशभक्त फिर से रोया है.कभी कश्मीर तो कभी लाल गलियारे में हमने भाइयो और बेटो को खोया है.आज फिर JNU में उत्सव है.आज फिर हर भारतवासी की आँखों में बदला है,आज फिर देश के हर जवान ने अपनी मुट्ठी को भींचा है.आज फिर हमारे सरकार के पास कड़ी निंदा है आज फिर हमने अपना सम्मान खोया है.आज दे दो हमारे हांथो में बंदूक हमें भी लड़ना है एक नहीं हमें दस गद्दारो का सीना छलनी करना है.

आज हमारे २५ CRPF के जवान नक्सलियों से लड़ते हुवे शहीद हो गए है.आज हर देशवासी के मन एक ही सवाल है की कब तक हम अपने जवानो की लाश ढ़ोते रहेंगे? कब हमारी सरकार कड़ी निंदा से आगे बढ़ कर कड़ी करवाई तक पहुंचेगी? कब नक्सलवादियों के हमलो को राष्ट्र पर हमला माना जाएगा? और ये हालत तब है जबकि इस देश में अब तक के सबसे कठोर कहे जाने वाले प्रधानमंत्री का शासन है और देश की सबसे राष्ट्रभक्त पार्टी का शासन है.हर दिन हम कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों में अपने बहादुर जवान खो रहे है और सरकार अभी तक आंतरिक सुरक्षा को लेकर अपनी स्पष्ट नीति तक नहीं बना पायी है.आने वाली २१ मई को सरकार को सत्ता में आये के तीन वर्ष पुरे हो जायेंगे.और कठोर कार्यवाई के नाम पर केवल एक सर्जिकल स्ट्राइक है और कोई बड़ा नक्सली अभी तक नहीं मारा गया है जबकि पिछले सिर्फ २ महीनो में ही हमने ३७ जवान नक्सली हिंसा में खो दिए है.

हमारी सेनाओ के पास अत्याधुनिक हथियार से लेकर बेहतर ट्रेनिंग भी है लेकिन फिर भी शहीद होने वाले जवानो की संख्या लगातार बढ़ रही है.नक्सली हिंसा से निपटने का कोई ठोस प्लान अभी तक सरकार के स्टार से नहीं बनाया गया है और ना ही कोई स्पेशल अधिकारी इस समस्या को हल करने के लिए लगाया गया है.सरकार को चाहिए की जितने भी सेना,पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवान एंटी नक्सली ऑपरेशन में लगे हुवे है उन सभी को एक छतरी के नीचे लाना होगा और एक केंद्रीयकृत कमान बनानी होगी.इसके साथ ही अब भारत को ड्रोन्स का भी प्रयोग बढ़ाना होगा.ड्रोन्स को हमला करने तथा सूचना जुटाने दोनों ही कार्यो के लिए उपयोग में लाना चाहिए.अब हमारे रणनीतिकारो का पूरा ध्यान नक्सलियों के टॉप लीडर्स को ठिकाने लगाने पर होना चाहिए.केवल छोटे या माध्यम स्तर के नक्सलियों के मारे जाने या आत्मसमर्पण करने से नक्सली हिंसा पर काबू नहीं पाया जा सकता है.टॉप लीडर्स को खत्म करने में ड्रोन बहुत सहायक सिद्ध होंगे क्योंकि घने जंगलो में सैनिक करवाई में सरकार को ज्यादा नुकसान हो सकता है जबकि ड्रोन से ये हमला क्षतिरहित और सटीक होगा.

सरकार उसके साथ ही शहरी नक्सलियों पर भी कठोर कार्यवाई करनी चाहिए जो की आम जनता के बीच रह कर सरकार को नक्सलियों के खिलाफ किसी भी तरह की सख्त कार्यवाई करने से रोकते है.इन नक्सलियों को बौद्धिक खुराक इन्ही लोगो से मिल रही है.ये सरकार को किसी भी सख्त करवाई शुरू करने से पहले ही ये सरकार को दबाव में लाने लगते है और नक्सलियों के बचाव में तरह तरह के तथ्य प्रस्तुत करने लगते है.ये सरकार को ये कह कर रोकते है की सरकार अपने ही लोगो पर सेना का प्रयोग या ज्यादा बल प्रयोग नहीं कर सकती है जबकि नक्सली अपने ही लोगो की हत्या बेधड़क कर रहे है.

अगर आप ये सोचते है कि विकास के द्वारा आप इस तरह कि हिंसा को रोक पाएंगे तो आप केवल कम्युनिष्ट दुष्प्रचार के शिकार है.आप सड़क बनाएंगे आप स्कूल बनाएंगे वो सब बम से उड़ा देंगे.आप सोचेंगे कि आम आम जनता को विकास से समझायेंगे वो अपनी बंदूकों से समझायेंगे.जब तक नक्सली रहेंगे तब तक न विकास रहेगा न ही जनसमर्थन.देश के हज़ारो करोड़ रुपए और हज़ारो जाने ऐसे ही खर्च होती रहेंगी और सरकार कड़ी निंदा ही करती रह जायेगी.

कोई भी संप्रभु राष्ट्र इस तरह की हिंसा बर्दास्त नहीं कर सकता खासकर वो जो की विश्व में महाशक्ति बनाने का ख्वाब देख रहा हो.अब समय आ गया है कि सरकार पैसे देने और खुशामद करने की कांग्रेसी नीति को त्यागे और अपने शक्ति का अहसास देश के आंतरिक और बाहरी राष्ट्र विरोधियो को कराये. और आधी अधूरी ताक़त का नहीं पूर्ण ताक़त का अहसास कराये ताकि दुश्मनो के हृदय में खौफ हो जैसा कि अमेरिका,चीन और इजराइल का उनके दुश्मनो के दिलो में है.

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