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बीते हफ्ते में रेलमंत्री जी ने भारतीय रेल को समय से चलाने का आदेश दिया और उच्च अधिकारियों को इसके लिए जवाब देह बनाया.ये आदेश उनके रेल मंत्री बनाने के तीन वर्ष पुरे होने से कुछ ही समय पहले आया है.जबकि इस आदेश को बहुत पहले ही आ जाना चाहिए था.इसी के साथ एक निर्णय ट्रेनों में थर्ड AC के डब्बो की संख्या बढ़ाने का हुवा है जिसको भी एक-डेढ़ वर्ष पहले ही हो जाना चाहिए था क्युकी एक समिति के रिपोर्ट के मुताबिक़ केवल थर्ड AC ही ऐसा क्लास है ट्रेनों में जिससे रेलवे को सबसे ज्यादा मुनाफा होता है.स्लीपर और जनरल क्लास को ५०% तक के घाटे के साथ चलना पड़ रहा है और फर्स्ट, सेकंड क्लास से थोड़ा बहुत ही फायदा रेलवे को हो रहा है.
ये बिलकुल मूलभूत निर्णय है जिनसे रेलवे की स्थिति कुछ सुधर सकती है और रेल यात्रियों को बहुत फायदा होगा.आज लगभग हर ट्रैन देर से चल रही है जिससे हमारे देश का बहुत सारा कामकाजी समय व्यर्थ जा रहा है.लम्बी दुरी के यात्री तो एक दिन रिज़र्व में रख कर और ऑफिस से एक दिन ज्यादा छुट्टी ले कर यात्रा कर रहे है.कभी भी यात्रियों को ट्रैन लेट होने की सही सूचना रेलवे प्रशासन द्वारा नहीं दी जाती है ना ही इसका स्पष्ट कारण बताया जाता है.अधिकतर मामलो में रेल कर्मचारियों की लापरवाही से ही रेल देर से चलती है अनावश्यक रूप से बड़े स्टेशन से पहले आउटर पर ट्रेनों को रोक रखा जाता है अपने जोन की ट्रेनों को पहले पास कराया जाता है.लेकिन फिलहाल रेल मंत्री का ये आदेश रेलयात्रियों के लिए काफी राहत भरा कदम है.
हमारे देश में अब समृद्धि बढ़ रही है और हमारे समाज में मध्यम वर्ग तेजी से बढ़ रहा है जो कुछ सुविधावो के लिए अतिरिक्त पैसा खर्च करने को तैयार.इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए रेल मंत्रालय आसानी से थर्ड AC के डब्बो कि संख्या बढ़ा सकता है जिससे यात्रियों के साथ साथ भारतीय रेल विभाग को भी काफी राहत मिलेगी.
इसके अतिरिक्त ट्रेनों में उनकी क्षमता के अनुरूप डब्बे भी नहीं लगाए जाते है जिससे रेलवे को आर्थिक नुक्सान होता है और रेल यात्री भी वेटिंग के टिकट पर यात्रा करने को मजबूर होते है.ट्रेनों में अतिरिक्त डब्बे बढ़ाने से एक ही समय में आप ज्यादा यात्रियों को गंतव्य तक पंहुचा सकते है और नयी ट्रैन ना चलने से रेल रूट भी खाली मिल जाता है जिससे ट्रैन भी राइट टाइम पर चलाई जा सकती है.
रेलवे अब अपने एक और तुगलकी फैसले फ्लेक्सी रेल किराये को वापस लेने पर विचार कर रहा है.इस फैसले के अंतर्गत रेलवे ने अपनी महत्वपूर्ण ट्रेनों राजधानी ,शताब्दी और दुरंतो ट्रेनों में हर १०% बुकिंग के बाद रेल का किराया १०% बढ़ जाता था और ये बढ़ते बढ़ते मूल किराये का डेढ़ गुना तक चला जाता है.इस नियम की वजह से एक ही ट्रैन में कभी कभी यात्रियों को कम दुरी की यात्रा के लिए ज्यादा और ज्यादा दुरी के लिए कम पैसा खर्च करना पड़ता है.और इस तरह के जनविरोधी और बेवकुफाने फैसले से सरकार और विभाग की इमेज जनता में खराब होती है.
रेलवे को जनरल क्लास के किराये में भी अभी तक कुछ बढ़ोतरी करनी चाहिए थी.अबतक मोदी सरकार भी पिछली सरकारों की तरह ही इस क्लास का किराया ना बढ़ाने की पालिसी पर चल रही है जबकि १० रूपये या १५ रुपये तक हर साल बढ़ाया जा सकता था.अब जबकि २०१९ के चुनावों को केवल दो साल ही रह गए तो अब ये करना सरकार के लिए काफी मुश्किल होगा.
रेलवे के पास एक बहुत बड़ा लैंड बैंक है जिसका अभी तक रेलवे ज्यादा सदुपयोग नहीं कर पाया है.रेलवे ने कई जगह दुकाने और प्लेटफॉर्म पर जगह काफी सस्ते दर पर दे रखी है.रेलवे को अपनी इन परिसम्पतियों की देखभाल के लिए किसी पेशेवर कंपनी या संस्था की मदद लेनी चाहिए जिससे रेलवे की आमदनी में पर्याप्त वृद्धि हो सके.
कई छोटे शहरो के स्टेशंस पर पर्याप्त जगह होते हुवे भी वो रेलवे के किसी काम नहीं आ पा रही है जबकि रेलवे चाहे तो वका के स्थानीय व्यापारियों के साथ मिल कर उसका अच्छा सदुपयोग कर सकता है जिससे लोगो को रोजगार तथा रेलवे को आर्थिक मदद मिल सकती है.
इंडियन रेलवे जहाँ बुलेट ट्रैन और हाई स्पीड ट्रैन चलाने की योजना बना रही है वहाँ साधारण और अभी की VVIP ट्रेनों को समय से नहीं चला पा रही है जबकि इन तीन वर्षो में इस समस्या को सुलझा लेना चाहिए था.लेकिन फिलहाल “देर आये दुरुस्त आये” अगर इस आदेश के बाद भारतीय ट्रेनें अगर समय से चलने लगे तो आमआदमी को बहुत राहत मिलेगी और देश का बहुत सारा कामकाजी समय भी बच जाएगा.
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