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फतवे का फितना

ragehulk
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जिस तरह से कोलकाता के एक मौलाना ने सुप्रसिद्ध गायक सोनू निगम के खिलाफ फतवा जारी किया उससे ये लगा की हम एक सभ्य समाज नहीं किसी बर्बर समाज का हिस्सा है.पिछले दिनों कोलकाता के ही एक मौलाना ने हमारे प्रधान मंत्री के खिलाफ भी फतवा देने की गुस्ताखी की थी और उसपे कोई भी कानूनी कार्रवाई ना केंद्र सरकार ने और ना ही पश्चिम बंगाल की सरकार ने की.जिसका परिणाम ये है कि ये मौलाना बे-लगाम हो कर फतवा जारी कर रहे है.इस तरह की बर्बर परंपरा एक लोकतांत्रिक देश में कैसे चल सकती है? पश्चिम बंगाल कि सरकार इस तरह की गैर कानूनी हरकतों का पूर्व में भी समर्थन करती नजर आयी है.प्रसिद्द लेखक तस्लीमा नसरीन विभिन्न मंचो से इसकी शिकायत कई बार कर चुकी है. जिस सभ्यता के साथ सोनू निगम ने उस मौलाना को जवाब दिया वो बहुत ही काबिले तारीफ है. फतवा,तीन तलाक़ और हलाला जैसी कुप्रथाएं हमें इकीसवीं सदी के समाज से मध्ययुगीन बर्बर समाज कि तरफ ले जाती है.फतवा जारी करने का मतलब है कि वह व्यक्ति अपने को इस देश के कानून से ऊपर समझता है और उसे पूरा विश्वास है कि देश का कानून उसका कुछ भी नहीं कर पायेगा.क्या एक लोकतान्त्रिक देश में इस तरह का फितना फ़ैलाने की किसी मौलाना या धार्मिक गुरु को इज़ाज़त दी जा सकती है?सरकार को जल्द से जल्द ऐसे जेहादी तत्वों पर लगाम लगानी चाहिए और फतवा जारी करने पर पूर्ण रोक लगानी चाहिए.

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